श्याम सुंदर शर्मा (UBI सावन की पुकार प्रतियोगिता | उभरते सितारे)
बूंदें बारिश की आसमान से, उतर पाक ही आती हैं। ना पालती प्रीत किसीसे,ना बैर ही पनापाती हैं। शुरुवाती बूंदें तो ऐसी, सकुचाई सी
बूंदें बारिश की आसमान से, उतर पाक ही आती हैं। ना पालती प्रीत किसीसे,ना बैर ही पनापाती हैं। शुरुवाती बूंदें तो ऐसी, सकुचाई सी
मोटी-मोटी बूंदों की मचलती बारिश; जैसे बुन रही हो कोइ साज़िश; कर रही हैं देखो फूलों को विभोर; और कह रही हैं “जल्द ही आएगा
झर झर गिरती धाराओ का इस धरती पर क्या काम सर सर दौड़ती इन नदियों को कण-कण देता भिगा सलाम हैं कौन यह बावली
सावन की पुकार। बिजली कड़के आकाश गरजे साथ,हवा बहके घटायें तड़पे । रिमझिम सरगम झंकृत तन मन आंगन छमछम मोहक नर्तन। नदियां बेगवान
ए सावन तू क्यों आता है मेरे मायके की यादें साथ लाता है याद आता है वो जतन जिससे मैं कपड़े लगाती थी ये यहाँ
आज फिर झूम कर बदरा छाए हैं , सन सन सनसनाती मदमस्त हवाएँ हैं ..! मन का मयूर नाचने को बेताब है , यह सावन
सावन की फ़ुहार, मद-मस्त करे ये बहार। टिप-टिप,टिप-टिप,करे है बूंदें पुकार। “प्यासी धरा समेट ले,गोद में हमें एक बार। नूपुर-सी झंकार से,हृदय
सावन की पुकार डॉ शैलबाला दाश। बैशाख के शाख से जब झड़ गये सारे फुल, तप्त धरा जब खरा की आगोश में शांति, शीतलता जाए
सावन की आवन सखी सबको दी सौगात! बनके सपना जी उठा, सावन सबके साथ!! अब और सूना ना रहे, वो पनघट वो घाट! पनिहारिन
तड़प रहा था आसमां तप रही थी वसुंधरा घुमड़ घुमड़ कर तुम जो आए बदरा अनोखा उन का मिलन हुआ सरिता का भी सिकुड़
UBI stands for United By Ink®️. UBI is a Global Platform- the real-time social media interactive forum created for Readers, Writers and Facilitators alike.This platform aims to help creative souls realize their writing goals.
Click on our representatives below to chat on WhatsApp or send us an email to ubi.unitedbyink@gmail.com