हे मनु, ईश्वर ने दिया तुझको ‘विचारों की शक्ति’ अपार ।
मानव जीवन है उसका दिया अनुपम उपहार ।।
कर्म में है तेरा अधिकार,फल की चिन्ता बेकार।
सोच विचार कर कर्म कर ‘विचारों को शक्ति’ ना हो बेकार ।।
हे मनु ………….
घर आंगन में पनपे सनातन संस्कार ।
जीवन हो स्वास्थ्य,अनुशासित, ना हो कोई विकार।।
‘विचारों की शक्ति’ बने सुख शांति का मजबूत आधार ।
द्वेष, अशान्ति, तनाव मुक्त हो घर परिवार ।।
हे मनु ………….
स्वस्थ समाज का बन तू रचनाकार।
‘विचारों की शक्ति’ को दे तू नई नई धार।।
कुविचार, कुरीति, कुंठित मानसिकता पर कर प्रहार ।
बचपन खिलखिलाये , नारी हो सम्मानित, बुजुर्गोंका मिले आशीष व प्यार ।।
हे मनु …………..
मातृभूमि की मिट्टी का है तू कर्जदार ।
विश्व गुरू श्रेष्ठ भारत का करना है निर्माण ….
देश हित सर्वोपरि , ऐसी इच्छा हो हर बार ।
ये लक्ष्य प्राप्त होगा, जब हो ‘विचारों की शक्ति’ का शाश्वत आधार ।।
हे मनु ………..
यह मेरी रचना स्व-रचित , मूल व अप्रकाशित है ।
दिनेश चन्द्रा
वाराणसी
उत्तर प्रदेश
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