जब भी रेप की कोई घटना होती है तो ये ख्याल मन में आते हैं जो मैंने तब कलमबद्ध किये थे जब एक आश्रय में अनगिनत लड़कियों की दर्द की गाथा मीडिया में आई थी।
(The case of Muzzafarpur ,Bihar- Brajesh Thakur now faces Life Imprisonment- ईश्वर के घर देर है अंधेर नहीं))
दर्द का एहसास और प्रश्न ईश्वर से
ये कैसा इन्साफ है तेरा हे ईश्वर
मासूमों पर ये ज़ुल्म क्यूँ
ये देहशत्गर्द भी तो हैं तेरे ही बन्दे
तो उनपर तेरी पकड़ ढीली क्यूँ
ये मासूम भी तो फूल हैं किसी बगिया के
जिन्हें अभी पूरी तरह खिलना था
तू बचा न पाया इन्हें उन दैत्यों के चंगुल से
और वो दैत्य उजाड़ गए घर सैकड़ों के
बता इन मासूमों पर हुआ ज़ुल्म मैं कैसे बर्दाश्त करूं
तू है , यक़ीनन है इस पर कैसे मैं विश्वास करूँ
तू है तो इन रोती बिलखती आत्माओं को यकीन दिला
उन देह्शत्गर्दों को दे उनके किये की सजा
अगर है कहीं तू तो आ सामने आ
पाप पुण्य और इस जीवन चक्र का गणित मुझे समझा
नहीं रह गया यकीन मुझे तेरे होने पर अब
कुछ चमत्कार दिखा लौटेगा मेरा विश्वास तेरे होने पर तब
© डॉ. अर्चना टंडन
How useful was this post?
Click on a star to rate it!
Average rating 0 / 5. Vote count: 0
No votes so far! Be the first to rate this post.