आनंद पूरित ख़ुशी का अतिरेक हो या फिर किसी ग़म का भावावेश हो ,
दोनों ही सूरतों में नयनों में अश्रुओ के बाँध को रोक नहीं पाती हैं ये भीगी पलकें !!
पहली बार आँचल में अपने बच्चे को समेटने का सुख हो,या फिर बेटे की शादी में उसके सर पर सेहरा बाँधने का ,
हर ख़ुशी के आवेग को सहजता से बहने देती हैं ये भीगी पलकें !!
कोई बहुत अपना दिल को ठेस पहुँचाये या फिर आपका ही बच्चा ऊँची आवाज़ में बात कर जाए ,
तो बरबस सारे बाँध तोड़ भरभरा कर बहने लग जाती हैं ये भीगी पलकें !!
नाजों पली अपनी बेटी को दूसरे के हाथों में सौंपना हो या उसको अपने घर से विदा करने की बेला हो ,
नयनों में नीर बन कर छलछलाती और बहने लग जाती हैं ये भीगी पलकें !!
मासूम बच्चियों पर ज़ुल्म हो,शहीदों की पत्नीयों का रुदन हो या एक माँ का करुण क्रंदन हो ,
ये दृश्य सहा ना जाय,
तो अनायास ही बरखा बन बहने लगती हैं ये भीगी पलकें !!
वसुधैव कुटुंबकम की भावना मन में समाय या दूसरों की पीड़ा जब सही ना जाए ,
तो गंगा की निर्मल धारा बन मानवता के बहुत क़रीब ले आती हैं ये भीगी पलकें !!
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4 Comments on “आभा गर्ग (UBI भीगी पलकें प्रतियोगिता | सम्मान पत्र (कविता))”
Ati sunder ye bhigi palke👌👌👏👏
Behad khubsurat shabdo ke chayan se atmanubhutik abhivyakti…Hardik shubhkamnaye…..
Oh thank you so much for your sweet words of appreciation dearest Shalini 😘😘
सचमुच आपके सुंदर ने तो भाव विभोर कर दिया.. 🥰🥰
The eyes are a reflection of our heart. The heart speaks through the eyes. Every significant emotion of life has been captured here so beautifully. So well written and straight from the heart!!!