सीमा वालिया (विधा : कविता) (न्याय | प्रशंसा पत्र)
हर भारत की बेटी चाहे निर्भया हो या अफसाना मांगती न्याय बरबस आंखों से केवल एक चाह की होगा क्या अब अंध मूक सत्ता से
हर भारत की बेटी चाहे निर्भया हो या अफसाना मांगती न्याय बरबस आंखों से केवल एक चाह की होगा क्या अब अंध मूक सत्ता से
आदि काल से सृष्टि के कण कण में समाहित है, एक अलिखित सहज प्राकृतिक न्याय, जिसके अन्तर्गत संचालित होता हर एक अस्तित्व,
आसमान का न्याय *****’***********’ *** नहीं क्षितिज भ्रम है ये बातें। अपनी ही नजरों से गिराने का यह सामूहिक प्रयास अब और नहीं सहेंगे हम।
मेघना अपने मम्मी पापा की इकलौती सन्तान हमेशा हमेशा पढ़ाई में अवल्ल रहने वाली सुंदर सुशील बच्ची हैं । पढ़ाई के साथ साथ नृत्यकला
नमन देश के न्याय प्रणाली को नमन देश के कठोर कानून को नमन कानून की देवी को –जो लिये रहती है हमेशा तराजू न्याय का
न्याय की देवी को कभी न इतना लाचार देखा आँखों पर बाँध पट्टी उसने सिर्फ अंधकार देखा उसकी तराज़ू में तुलता गुण -अवगुण काँटे
न्याय शब्द का ज़िक्र होते ही मन में उचित,अनुचित का विवेक फ़ैसला,इंसाफ़ आदि बातों का ख़याल अनायास ही आ जाता है। हर समाज व देश
शीर्षक : मनुवाद बनाम न्याय प्रक्रिया और आरोप… यदि, वेदों पर आधारित मूल मनुस्मृति का अवलोकन करने पर हम पाएंगे कि आज मनुवाद का
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